तुम्हें याद हो के न याद हो...

वो जो हम में तुम में करार था तुम्हें याद हो के न याद हो
वही यानी वादा निबाह का तुम्हें याद हो के न याद हो

वो नए गिले वो शिकायतें वोह मज़े मज़े की हिकायतें
वो हर एक बात पे रूठना तुम्हें याद हो के न याद हो

कोई बात ऎसी अगर हुई जो तुम्हारे जी को बुरी लगी
तो बयान से पहले ही भूलना तुम्हें याद हो के न याद हो

सुनो ज़िक्र है कई साल का, कोई वादा मुझ से था आप का
वो निबाहने का तो ज़िक्र क्या, तुम्हें याद हो के न याद हो

कभी हम में तुम में भी चाह थी, कभी हम से तुम से भी राह थी
कभी हम भी तुम भी थे आशना, तुम्हें याद हो के न याद हो

वो जो लुत्फ़ मुझ पे थे बेशतर, वो करम के हाथ मेरे हाथ पर
मुझे सब हैं याद ज़रा ज़रा, तुम्हें याद नो की न याद हो

जिसे आप गिनते थे आशना जिसे आप कहते थे बावफा
मैं वही हूँ मोमिन-ऐ-मुब्तला तुम्हें याद हो के न याद हो
 
                                                -मोमिन खां 'मोमिन '
 

Aseem Jha

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