Thursday, December 20, 2012

अब ना मांगेंगे ज़िन्दगी या रब...

सब्र हर बार इख्तियार किया
हम से होता नहीं, हज़ार किया
आदतन तुमने कर दिए वादे
आदतन हमने ऐतबार किया
तेरी राहों में बारहा रुक कर
हम ने अपना ही इंतज़ार किया
अब ना मांगेंगे ज़िन्दगी या रब
ये गुनाह हम ने एक बार किया
                             -गुलज़ार
 
 

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