है लौ ज़िन्दगी

है लौ ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नूर है
मगर इसमें जलने का दस्तूर है...
अधूरे से रिश्तों में जलते रहो
अधूरी सी साँसों में पलते रहो
मगर जिए जाने का दस्तूर है....
रवायत है के ज़िन्दगी गहना है
ये हीरा है और चाटते रहना है...
के लम्हों में मरने का दस्तूर है...


Aseem Jha

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